Jeshtgauri Katha Marathi : आटपाट नगर में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। वह ब्राह्मण रोजाना घर-घर जाकर भिक्षा माँगता था। उसकी पत्नी पतिव्रता थी और उसके चार पुत्र थे। लेकिन ब्राह्मण को घमंड था, और उसका परिवार दरिद्रता में जीवनयापन कर रहा था।
भाद्रपद महीने का समय था, अनुराधा नक्षत्र का दिन आया। गाँव के लोग श्री गौरी उत्सव की तैयारी में जुट गए। बैंड-बाजे की धुन पर लोग झूम रहे थे। नगराधीश सर्वस्व सिंह, जो नगर के सम्मानित व्यक्ति थे, भी इस उत्सव में भाग ले रहे थे। वह भव्य कार्यक्रम का संचालन कर रहे थे और सभी ने उन्हें शुभकामनाएँ दीं। लेकिन ब्राह्मण के घर में गरीबी की छाया छाई हुई थी।
उसकी पत्नी ने सोचा कि इस बार वह भी गौरी माता की पूजा करेगी, ताकि उनकी दरिद्रता दूर हो सके। उसने अपने पति से पूजा के सामान के लिए पैसे मांगे, परंतु ब्राह्मण ने कहा कि उसके पास पैसे नहीं हैं। ब्राह्मण की पत्नी ने फिर भी हिम्मत नहीं हारी। उसने अपनी सोने की चूड़ी गिरवी रखकर कुछ पैसे जुटाए और पूजा का सामान खरीदा।
गौरी माता की महिमा
शहर के लोग गौरी माता की महिमा का बखान कर रहे थे। कहा जाता है कि गौरी माता सभी भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी करती हैं। गौरी माता की पूजा करने से घर में सुख-शांति आती है, दरिद्रता दूर होती है और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। नगर के लोग बड़ी श्रद्धा से गौरी माता की पूजा कर रहे थे।
कठिनाईयों में गौरी पूजा
ब्राह्मण की पत्नी ने पूजा की तैयारी की, लेकिन पूजा की थाली में कुछ भी नहीं था। कोई फल नहीं, कोई मिठाई नहीं। वह दुःखी होकर सोच रही थी कि कैसे वह गौरी माता की पूजा करेगी। उसी समय, उसका छोटा बेटा घर आया और उसने कहा, “माँ, चिंता मत करो। माँ गौरी सब देख रही हैं।” उसके बेटे के इन शब्दों ने ब्राह्मण की पत्नी को हिम्मत दी। उसने अपने बेटे के साथ घर में मौजूद चावल, दाल, और थोड़ा सा घी लेकर गौरी माता की पूजा की।
गौरी माता की कृपा
जब ब्राह्मण की पत्नी गौरी माता की पूजा कर रही थी, उसी समय एक चमत्कार हुआ। पूजा स्थल पर एक दिव्य प्रकाश फैला और गौरी माता का स्वरूप प्रकट हुआ। गौरी माता ने कहा, “हे ब्राह्मणी, तुम्हारी भक्ति से मैं प्रसन्न हूँ। तुम्हारे घर में अब दरिद्रता नहीं रहेगी। तुम्हारे पति का अहंकार टूटेगा, और तुम्हारे घर में हमेशा सुख-शांति रहेगी।”
गौरी माता के आशीर्वाद से ब्राह्मण के घर में धन-धान्य की प्राप्ति हुई। उसका पति, जो पहले घमंडी था, अब विनम्र हो गया। उसने महसूस किया कि उसकी पत्नी की भक्ति और श्रद्धा के कारण ही उनका परिवार सुखी हुआ।
एक नई शुरुआत
इस घटना के बाद, ब्राह्मण ने अपनी पत्नी से क्षमा मांगी और कहा कि वह अब से गौरी माता की पूजा और उनकी भक्ति में ही जीवन बिताएगा। उसने अपने चारों पुत्रों को भी गौरी माता की महिमा के बारे में बताया और उनसे भी माता की पूजा करने के लिए कहा।
गौरी माता की पूजा का महत्व
गौरी माता की पूजा का महत्व सभी भक्तों के लिए अत्यंत है। गौरी माता पार्वती का एक रूप हैं, जो शिव की पत्नी हैं। माना जाता है कि जो भी व्यक्ति सच्चे मन से गौरी माता की पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। विशेष रूप से, अविवाहित कन्याएँ गौरी माता की पूजा करती हैं ताकि उन्हें अच्छा वर मिले।
श्रद्धा और भक्ति की शक्ति
गौरी माता की पूजा में श्रद्धा और भक्ति की बहुत महत्ता है। यह कहानी बताती है कि चाहे किसी के पास कितनी भी दरिद्रता हो, यदि उसमें श्रद्धा और भक्ति है, तो भगवान उसकी सहायता अवश्य करते हैं। ब्राह्मण की पत्नी ने यही साबित किया। उसकी भक्ति और समर्पण ने ही उसके परिवार को दरिद्रता से मुक्ति दिलाई।
समाज में गौरी माता का स्थान
समाज में गौरी माता का स्थान बहुत ऊँचा है। लोग उन्हें मातृशक्ति का प्रतीक मानते हैं। उनका आशीर्वाद पाने के लिए लोग उन्हें विभिन्न प्रकार की भेंट अर्पित करते हैं। महिलाएँ विशेष रूप से गौरी माता की पूजा करती हैं, क्योंकि वह उन्हें अपनी शक्ति और सामर्थ्य का प्रतीक मानती हैं।
गौरी पूजा के अनुष्ठान
गौरी पूजा के दौरान, महिलाएँ अपने घरों को सजाती हैं, दीप जलाती हैं, और रंगोली बनाती हैं। पूजा स्थल पर गौरी माता की मूर्ति रखी जाती है, जिसे फूलों से सजाया जाता है। पूजा की थाली में चावल, फल, मिठाई, और सिंदूर रखा जाता है। पूजा के बाद, महिलाएँ एक-दूसरे को हल्दी-कुमकुम लगाती हैं और मिठाई बांटती हैं।
ब्राह्मण का परिवर्तन
इस घटना के बाद, ब्राह्मण ने अपना व्यवहार बदल लिया। उसने समझा कि जीवन में धन-धान्य से अधिक महत्वपूर्ण श्रद्धा और भक्ति है। वह हर दिन गौरी माता की पूजा करने लगा और अपने परिवार के साथ सुखी जीवन व्यतीत करने लगा।
इस कथा का संदेश
इस कथा से यह संदेश मिलता है कि जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आएं, हमें अपनी श्रद्धा और भक्ति में कमी नहीं करनी चाहिए। भगवान हमेशा अपने भक्तों की सहायता करते हैं, बशर्ते वे सच्चे मन से उनकी आराधना करें। गौरी माता की पूजा हमें सिखाती है कि श्रद्धा और भक्ति से जीवन की हर समस्या का समाधान हो सकता है।
समापन
शहर में गौरी माता का उत्सव मनाने के बाद, लोगों ने देखा कि ब्राह्मण का परिवार अब सुखी और समृद्ध है। हर कोई इस बात को समझ गया कि यह सब गौरी माता की कृपा का परिणाम है। लोग ब्राह्मण की पत्नी की भक्ति की सराहना करने लगे और गौरी माता की महिमा का बखान करने लगे।
गौरी माता की पूजा ने ब्राह्मण के जीवन को बदल दिया और उसके परिवार को समृद्धि की ओर ले गई। यह कहानी हमें सिखाती है कि भक्ति और श्रद्धा से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है। गौरी माता की कृपा से हर मनोकामना पूरी होती है और जीवन में सुख-शांति आती है।
एक अटल विश्वास
इस कथा का सार यही है कि हमें ईश्वर की भक्ति और श्रद्धा में अटल रहना चाहिए। ईश्वर हमेशा अपने भक्तों का साथ देते हैं और उन्हें हर कठिनाई से बाहर निकालते हैं। गौरी माता की पूजा से न केवल मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं, बल्कि यह हमें सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी देती है।
अतः, सभी भक्तों को चाहिए कि वे सच्चे मन से गौरी माता की पूजा करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सुखी और समृद्ध बनाएं।
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